पंचतंत्र की कहानियां, रोचक और मजेदार (2023) | Panchatantra Stories in Hindi

बच्चों से लेकर बड़े तक सभी को पंचतंत्र की कहानियों को पढ़ने का बहुत शौक है इसलिए आज मैं इस ब्लॉग पोस्ट में आप सभी को panchtantra ki kahaniyan बताने वाला हूँ जिसे पढ़कर आप अपने बच्चों को सीख दे सकते हैं। 

अगर आप अपने बच्चों को कुछ सीख देना चाहते हैं तो panchatantra stories in hindi आपको जरुर पढ़ना चाहिये क्यूंकि इसमें आपको जिंदगी के कई सारे सीख जानने को मिलते हैं साथ ही इसे पढ़ने में मजा भी आता है।

आज से कई सौ साल पहले विष्णु शर्मा नामक लेखक ने पंचतंत्र की कहानियों को लिखा था ताकि उस समय के राजकुमार जीवन जीने की कला सीख सकें। 

वैसे तो पंचतंत्र की सभी कहानियाँ बच्चों के लिए सही नहीं है लेकिन इस लिस्ट में मैंने मुख्य रूप से उन सभी पंचतंत्र की कहानियों का लिस्ट दिया है जो की बच्चों के लिए भी उपयुक्त है। 

पंचतंत्र की कहानियां, रोचक और मजेदार – Panchatantra Stories in Hindi

निचे आप 10 से भी अधिक panchtantra ki kahaniyan पढ़ सकते हैं और बहुत कुछ सीख सकते हैं इसलिए कहानियों को ध्यान से अंत तक पढ़ें। 

1. चार दोस्त 

पंचतंत्र की कहानियां, रोचक और मजेदार - Panchatantra Stories in Hindi

एक समय की बात है जंगल में चार दोस्त रहते थें, हिरन, कछुआ, कौवा, और छछूँदर। वे सभी आपस में बहुत अच्छे से रहते थे और एक आम के पेड़ के निचे रोज़ मिलते थें और बाते करते थे। 

एक दिन कछुआ, कौवा, और छछूँदर उस आम के पेड़ ने निचे पहुँच गए थे लेकिन वहा उनका दोस्त हिरन नहीं आया था। उन तीनों ने काफी समय तक इंतज़ार किया लेकिन हिरन नहीं आया, फिर कछुआ ने कौवे से कहा की “कौवा भाई तुम उड़ सकते ही इसलिए ज़रा आगे जाकर देखो जो हिरन अभी तक क्यों नहीं आया” उसके बाद कौवा हिरन को ढूंढने निकल पड़ता है। 

कुछ ढूंढने के बाद कौवा हिरन को ढूंढ लेता है उसके बाद कौवा उससे पूछता है की तुम यहां क्या कर रहे हो तो हिरन कहता है की वह एक जाल में फंस गया है और उससे बाहर नहीं निकल पा रहा है। 

उसके बाद कौवा कहता है की “हिरन भाई तुम यहीं रुको मैं बाकी दोस्तों को बुलाकर लाता हूँ ताकि तुम्हे छुड़ा सके”

फिर कौवा जल्दी से उड़कर जाता है कछुआ और छछूँदर को इस बात की जानकारी देता है की हिरन जाल में फंस गया है। उसके बाद वे सभी हिरन के पास जाते हैं और छछूँदर अपने नुकीले दांतो से जाल को काट देता है और हिरन आजाद हो जाता है। 

लेकिन तभी वहाँ पर वह शिकारी पहुँच जाता है, शिकारी को देखते ही हिरन तेज़ी से भाग जाता है, कौवा उड़ जाता है, और छछूंदर बिल में छिप जाता है लेकिन कछुआ इतना धीमा चल रहा होता है की वहाँ से भाग नहीं पाता है और शिकारी उसे पकड़कर रस्सी से बाँध देता है। 

उसके बाद तीनों दोस्त हिरन, कौवा, और छछूँदर आपस में मिलते हैं और कछुआ को बचाने के प्लान बनाते हैं। प्लान के हिसाब से हिरन शिकारी से थोड़ी दूर पर जाकर लेट जाता है और जब शिकारी लेटे हुए हिरन को देखता है तो वह सोचता है की इतनेसे छोटे कछुए से मेरा क्या होगा मुझे यह हिरन ही पकड़ना चाहिए। 

उसके बाद जैसे ही वह हिरन पकड़ने के लिए आगे बढ़ता है उसी समय छछूंदर कछुए की जाल को काट देता है और कछुआ आजाद होता है उसके बाद कछुआ तेज़ी से पास के तालाब में जाकर छुप जाता है। फिर कौवा जोर से चिल्लाता है की कछुआ आजाद हो गया और यह सुनते ही हिरन वहाँ से उठता है और तेज़ी से भाग जाता है। 

अब शिकारी सोचता है की हिरण तो भाग गया लेकिन मेरे पास कछुआ तो है जैसे ही वहाँ जाता है तो कछुआ भी  वहाँ नहीं होता है। इस तरह चारों दोस्त आपस में मदद करके एक दूसरे की जान बचा लेते हैं।

2. शेर और खरगोश  

शेर और खरगोश  

दोपहर का समय था और शेर को भूख लगी थी वह अपना शिकार ढूंढने के लिए गुफा से बाहर निकलता है और उसके सामने जो भी पड़ता है वह उसे खा जाता है। और ऐसा रोज़ हो रहा था जिसके वजह से जंगल के अन्य जानवर चिंता में आ गए थें की अगर शेर सभी को ऐसे ही मार कर खाता जाएगा तो जंगल के सभी जानवर ही खत्म हो जाएंगे। 

उसके बाद सभी जानवर मिलकर शेर के पास जाते हैं और कहते हैं कि “चलो हम सभी मिलकर एक नियम बनाते हैं कि हम आपके खाने के लिए आपके गुफा में रोज एक जानवर भेजते रहेंगे लेकिन आप इसके बदले में किसी भी अन्य जानवर को नहीं मारेंगे और आप सिर्फ अपने गुफा में ही रहेंगे, आप सिर्फ उसी जानवर को मारके खाएंगे जो आपके पास रोज जाएगा। उसके बाद यह नियम शेर मान लेता है। 

नियम के हिसाब से रोज़ के जानवर अपने नंबर के हसाब से शेर का खाना बनकर शेर के पास जाते थें। 

एक दिन एक खरगोश का समय आता है जिससे शेर का खाना बनना होता है लेकिन वह खरगोश बहुत चालाक होता है वह रास्ते में ही एक तरकीब बना लेता है। 

उसके बाद वह खरगोश बहुत देरी से शेर के पास पहुंचता है और शेर बहुत ही गुस्से में था, शेर बोलता है कि “एक तो इतना छोटा खाना भेजा है मेरे लिए और ऊपर से लेट हो गया” फिर शेर खरगोश से पूछता है कि “तुम इतना लेट क्यों हुए फिर खरगोन बताता है कि “रास्ते में मुझे एक नया शेर मिल गया था जो कि मुझे कह रहा था कि मैं जंगल का एक नया राजा हूं मैं तुम्हें खा जाऊंगा लेकिन मैंने बताया कि मैं किसी और शेर का भोजन हूं किसी” फिर वह शेर कहता है कि मेरे अलावा यहां कोई राजा नहीं है और जाकर उस शेर को जाकर चेतावनी दे दो और मेरे बारे में बता दो” फिर खरगोश शेर से कहता है की “मैं उसी शेर का संदेश लेकर आया हूं कि वह ऐसा कह रहा था”

उसके बाद वह शेर गुस्सा हो जाता है और बोलता है कि “चलो मुझे उस दूसरे के पास लेकर चलो उसे मैं बताता हूं कि असली राजा कौन है” और खरगोश बहुत चालाक होता है वह झूठी कहानी बताकर शेर को कुएं के पास लेकर जाता है उसके बाद खरगोश शेर से कहता है की “दूसरा शेर इसी कुएं के अंदर है जो कि अपने आपको जंगल का नया राजा कहता है आप उससे जाकर मिल सकते हैं” जैसे ही वह शेर उस कुएं में झांकता है तो उसे अपनी परछाई दिखाई देती है और उसे लगता है कि वह कोई दूसरा शेर है और वह गुस्से में कुएं के अंदर कूद जाता है कुए जिसकी वजह से उस शेर की मौत हो जाती है और इस तरीके से खरगोश अपनी और सभी जानवरों की जान बचा लेता है। 

3. तीन लोगों का वादा 

तीन लोगों का वादा 

आदित्य नाम का आदमी एक दिन जंगल से होकर गुजर रहा था तभी वह एक कुआं देखता है, जब वह कुए के पास जाता है तो वह कुएं में देखता है कि कुएं में एक चीता, सांप और एक इंसान कुए के अंदर तैर रहे थे और अपनी जान बचाने के लिए बाहर आने की कोशिश कर रहे थे। 

आदित्य तीनों से पूछता है कि “तुम तीनों अंदर क्या कर रहे हो?” तीनों बताते हैं कि हम गलती से इस कुएं में गिर गए थे” उसके बाद वे तीनों आदित्य से कहते हैं कि कृपया करके मुझे आप यहां से बाहर निकालो। फिर आदित्य सोचता है की अगर मैं सांप और चीता को निकाल लूंगा तो सांप मुझे डस लेगा और चीता मुझे खा जाएगा।

फिर चीता आदित्य से कहता है कि “मैं आपको नहीं मारूंगा कृपया मेरी मदद करें” उसके बाद आदित्य चीता को कुएं से बाहर निकाल लेता है फिर चीता आदित्य से कहता है कि “जब भी आपको किसी चीज की जरूरत पड़े तो आप मेरे गुफा में आ जाना मैं हमेशा वहां मौजूद रहूंगा”

उसके बाद आदित्य सांप को भी लकड़ी के सहारे कुए से बाहर निकाल लेता है फिर सांप कहता है कि अगर आपको कभी मेरी जरूरत पड़े तो आप सिर्फ मेरा नाम दो बार पुकारना मैं आपके सामने हाजिर हो जाऊंगा”

अंत में आदित्य उस इंसान को कुए से बाहर निकलता है फिर वह इंसान कहता है कि मैं एक सोनार हूं अगर आपको कभी भी किसी भी चीज की जरूरत पड़े तो आप मेरे घर आ सकते हैं मैं आपकी मदद जरूर करूंगा।”

उसके बाद चारों अपने अपने रास्ते चले जाते हैं। कई साल बीत जाते हैं आदित्य उसी जंगल से गुजर रहा था तभी उसे याद आया कि चीता ने उससे कुछ वादा किया था फिर वह चीता के गुफा में जाता है और चीता उसे देखकर काफी खुश होता है उसका स्वागत करता है उसके बाद चीता आदित्य को उपहार के तौर पर एक सोने का मुकुट देता है। 

आदित्य सोचता है कि मैं सोने के मुकुट का क्या करूँगा अगर सोने का सिक्का होता तो अच्छा था फिर उसे याद आता है की उस सोनार ने उसे उसकी मदद करने का वादा किया था फिर वह सोनार के घर पर जाता है।

जब आदित्य सोनार के घर पहुँचता है तो सोनार उसका स्वागत करता है। आदित्य सोनार को बताता है कि उसे चीता ने सोने का मुकुट गिफ्ट दिया है और उसे सोने के सिक्के में बदलना है उसके बाद सोनार जैसे ही सोने का मुकुट देखता है तो याद आता है कि यह मुकुट तो राजा के बेटे का है। 

फिर उसे याद आता है कि राजा ने घोषणा किया है की उसके बेटे के बारे में जो कोई भी जानकारी देगा राजा उसको इनाम देगा। उसके बाद वह सोनार आदित्य को 10 मिनट इंतज़ार करने के लिए कहता है और राजा के पास चले जाता है। 

फिर राजा से कहता है की मैंने आपके बेटे के कातिल को पकड़ लिया है जिसके पास आपके बेटे का सोने का मुकुट है उसके बाद राजा के सैनिक आदित्य के पास आते हैं और उसे जबरदस्ती ही जेल में बंद कर देते हैं। और उस सोनार को राजा इनाम देता है। 

उसके बाद आदित्य को याद आता है कि सांप ने उससे वादा किया था की वह उसकी मदद जरूर करेगा फिर वह सांप का नाम लेता है और सांप उसके सामने कुछ ही समय में आ जाता है फिर आदित्य सांप को पूरी कहानी बताता है कि कैसे सोनार की वजह से वह जेल में बंद है। 

उसके बाद सांप और आदित्य दोनों मिलकर एक योजना बनाते हैं। सांप जाकर रानी के पैरों में काट लेता है जिससे रानी बेहोश जो जाती हैं और राजा हकिम को बुलाते हैं लेकिन हकीम की कोई दवा काम नहीं करती है। 

फिर राजा ऐलान करते हैं की जो कोई भी रानी को ठीक करेगा वह उसे इनाम देंगे। फिर योजना के अनुसार आदित्य सैनिकों को कहता है की “मैं रानी को ठीक कर सकता हूँ लेकिन उसके लिए मुझे रानी के कमरे में अकेले ही जाना होगा। 

उसके बाद राजा, आदित्य को रानी के पास अकेले जाने की इजाजत देते हैं। कमरे में जाने के बाद आदित्य सांप का नाम लेता है और सांप हाजिर हो जाता है उसके बाद सांप रानी के शरीर से सारा जहर खींच लेता है। फिर आदित्य सांप को शुक्रिया कहता है और सांप वहाँ से अपना काम करके चला जाता है। 

उसके बाद रानी होश में आ जाती है और राजा आदित्य से खुश होते हैं और कहते हैं तुम क्या मांगना चाहते हो मुझे बताओ। फिर आदित्य कहता है की “महाराज मुझे कुछ नहीं चाहिए बस मुझे असली बात बताने दीजिए क्यूंकि मैंने आपके बेटे को नहीं मारा है”

उसके बाद आदित्य अपनी पूरी कहानी को बताता है और राजा उसकी बात को समझ जाता है और फिर सोनार को दोषी मानकर उसे जेल में बंद कर दिया जाता है। 

अंत में आदित्य के ईमानदारी के लिए राजा उसे सोने का उपहार देता है। 

4. साँप और कौवा 

साँप और कौवा 

एक घने जंगल के बीच में एक बहुत बड़ा वट वृक्ष (पेड़) था इसकी कई सारी शाखाएं थीं। एक दिन एक कौवा जिसका नाम गुरु होता है वह उड़कर उस वट वृक्ष के पास आता है और देखता है कि यह बहुत ही बड़ा वट वृक्ष है। इसी के साथ वह देखता है की वहाँ पर किसी चिड़िया का घोसला भी नहीं है और आस पास बहुत शांति है। 

उसके बाद गुरु वहीँ पर रहने का फैसला करता है। वह उड़कर जाता है और अपनी पत्नी नीता को भी बुला कर लाता है उसके बाद भी दोनों वहां पर खुशी-खुशी रहते हैं। एक दिन उसकी पत्नी नीता अंडे देती है कुछ दिन बाद उसके बच्चे उस अंडे में से निकलते हैं। 

फिर गुरु और नीता अपने बच्चों के लिए खाना लाने के लिए उड़ जाते हैं उसके बाद जैसे ही वे दोनों कीड़ा लेकर आते हैं तो देखते हैं कि उनके घोसले में उसके बच्चे ही नहीं है। 

फिर गुरु आसपास देखता है लेकिन उसके बच्चे नहीं दिखाई देते हैं लेकिन पेड़ के निचे उसको एक होल दिखाई देता है और उस होल के अंदर एक दो आंख दिखाई देता है फिर गुरु जैसी ही होल के नजदीक जाता है और चिल्लाता है फिर वहां से एक कोबरा सांप निकलता है जो कि गुरु के बच्चों को खा लिया होता है। 

फिर गुरु बहुत डर जाता है और वहां से उड़ जाता है उसके बाद कोबरा सांप के बारे में अपनी पत्नी नीता को बताता है फिर उसकी पत्नी भी बहुत डर जाती है और गुरु से कहती है कि चलो जहां से हम लोग भाग चले नहीं तो यह हमारे पैदा होने वाले बच्चों को फिरसे खा जाएगा। 

लेकिन वह पेड़ गुरु को पसंद होता है इसलिए वह वहाँ से जाने का फैसला नहीं करता। उसके बाद गुरु अपने दोस्त सियार के पास जाता है उससे मदद मांगता है फिर सियार एक योजना बनाता है।  

अगले दिन कौवा उड़कर तालाब के पास जाता है जहां उस राज्य की महारानी पिकनिक मना रही होती हैं और अपने सोने के हार को बाहर निकालकर रखी होती है उसके बाद कौवा रानी के हार को लेकर उड़ जाता है और गुरु के पीछे रानी के सैनिक भी लग जाते हैं। 

उसके बाद गुरु उस हार ही लेकर उसी पेड़ के पास पहुँचता है और हार को उसी होल में डाल देता यही जिसमें कोबरा था। उसके बाद सैनिक उस हार को निकालने के लिए उस होल की खुदाई करते हैं तभी उसमें से कोबरा निकलकर भाग जाता है और सैनिकों को रानी का हार भी मिल जाता है। 

उसके बाद गुरु और उसकी पत्नी नीता उस पेड़ पर ख़ुशी ख़ुशी रहने लगे। 

5. मूछा राजा और बंदर 

मूछा राजा और बंदर 

एक दिन मूछा राजा के खिड़की पर एक बंदर आकर बैठ गया, वह दासी को देख रहा था की दासी किस तरह से सोते हुए राजा के लिए पंखे चला रही है। 

दासी किसी काम से बाहर जाती है वैसे ही बन्दर, राजा का पखां लेकर उसे हवा देने के लिए घुमाने लगता है। जैसे ही राजा की आँख खुलती है तो उसे वह बंदर पंखा चलाते हुए दिखाई देता है तो राजा सोचता है की लगता है दासी बंदर बन गयी है उसके बाद वह सो जाता है। 

कुछ समय के बाद दासी राजा के कमरे में आती है उसके बाद वह बंदर को देखकर चिल्लाती है और भाग जाती है। उसके बाद राजा की नींद खुल जाती है और राजा बंदर की मेहनत को देखकर खुश होता है। 

मूछा राजा, बंदर को अपने साथ रखने का फैसला करता है और वह बंदर के लिए कपड़े भी सिलवाता है। अब बंदर कपडे पहनकर हर समय मूछा राजा के साथ रहने लगा। 

बंदर हर समय मूछा राजा के साथ रहता था इसलिए मूछा राजा के मंत्री काफी चिंतित थे और उन्होंने राजा को सलाह भी दिया की बंदर जैसे जानवरों का कोई भरोसा नहीं ये कब क्या कर दें लेकिन राजा ने मंत्रियों की एक न सुनी। 

एक दिन मूछा राजा अपने कमरे में सो रहा था और बंदर भी वहीँ था, तभी बंदर को खिड़की से एक मधुमक्खी कमरे में आता हुआ दिखाई दिया इसलिए बंदर मधुमक्खी को भगाने के लिए उसके पीछे लग जाता है। 

मधुमक्खी, बंदर के हाथ नहीं आता है और वह सोते हुए राजा के नाक पर जाकर बैठ जाता है लेकिन बंदर भी हार नहीं मानने वाला था वह चप्पल निकालता है और मधुमक्खी को मारता है लेकिन इतने में मधुमक्खी राजा के नाक से उड़ जाता है और चप्पल जाकर राजा के नाक पर लगती है और खून निकलने लगता है। 

यह सब देखकर बंदर वहाँ से भाग जाता है और दोबारा राजा के पास कभी नहीं आता है। इसके बाद राजा भी समझ जाता है की बंदर का कोई भरोसा नहीं ये कब और क्या कर दे। 

6. पक्षियों की उड़ान 

एक बार पक्षियों का एक झुण्ड साथ में उड़ रहा था तभी उनमे से किसी एक पक्षी को जमीन पर गिरे हुए चावल के दाने दिखाई देते है और वह बाकि अन्य पक्षियों से कहती है “निचे जमीन पर चावल के दाने हैं चलो हम सभी उसे खाते है”

उसके पक्षियों के समूह का मालिक कहता है की “यह मुझे कुछ ठीक नहीं लगता है क्यूंकि रास्ते में इतने चावल कौन फेकता है?” उसके बाद वह जवान चिड़िया कहती है की “हो सकता है किसी ने गलती से गिरा दिया हो वैसे भी हमें खाने से मतलब है” यह सुनकर बाकी चिड़िया भी उसकी बात मान लेती हैं और सभी लोग चावल के दाने को चुनने के लिए निकल पड़ती हैं। 

जैसे ही वे सभी चावल चुगने वाली रहती है तभी झाडी में से एक शिकारी निकलता है और सभी पक्षियों के ऊपर जाल फेंकने वाला होता है। उसी समय सभी पक्षी डर जाती हैं और कहती हैं की काश हम अपने मालिक का खाना मान लिए होते और यहाँ दाना चुगने नहीं आते। 

उसके बाद उन पक्षियों के समूह का लीडर कहता है की अभी भी देर नहीं हुई है तुम सभी दाहिने ओर एक साथ उड़ना शुरू करो उसके बाद सभी पक्षी दाहिने ओर एक साथ उड़ने लगते हैं और उसी समय उनके ऊपर शिकारी का जाल गिरता है और वे सभी जाल लेकर ही उड़ जाते हैं। 

उसके बाद वे सभी पक्षी एक जंगल में उतरते हैं और वहां उन्हें एक चूहा दिखाई पड़ता है और उसके मदद से वे पक्षी अपना जाल काट लेते हैं और आजाद होकर उड़ जाते हैं और लालच न करने की सबक भी सीख जाते हैं। 

7. गुफा में शेर 

जगंल में एक शेर रहता था लेकिन शेर भूख की वजह से बहुत कमजोर हो गया था इसलिए वह शिकार नहीं कर पा रहा था। उसी जंगल के एक गुफा में एक लोमड़ी रहती थी, एक दिन लोमड़ी अपने गुफा से बाहर निकलकर जंगल की सैर करने की लिए जाती है। उसी दिन शेर भी अपने खाने की तलाश में जंगल की ओर निकल पड़ता है। 

कुछ समय तक शिकार ढूढने के बाद शेर को लोमड़ी की गुफा दिखाई पड़ती है उसके बाद वह भोजन की तलाश में गुफा के अंदर जाता है लेकिन वहाँ कोई भी नहीं था। उसके बाद शेर को लोमड़ी के पैरों के निसान गुफा में दिखाई देता है फिर शेर समझ जाता है की इस गुफा में लोमड़ी रहती है। 

उसके बाद शेर सोचता है की अभी मैं इसी गुफा में रुक जाता हूँ जब लोमड़ी आएगी तो मैं उसे मारकर खा जाऊंगा। कुछ समय के बाद लोमड़ी अपने गुफा की ओर वापस आती है जैसे ही वह गुफा के पास पहुंचती है तो देखती है की गुफा के अंदर जाते हुए शेर के पैरों के निसान तो हैं लेकिन गुफा से बाहर आने के निसान नहीं है। 

लोमड़ी बहुत चालाक थी, वह गुफा से बात करने का नाटक करती है और कहती है की “हे गुफा महाराज क्या मैं अंदर आ सकती हूँ” लेकिन गुफा में से कोई आवाज नहीं आता है। लोमड़ी की बात शेर भी सुनते रहता है। 

गुफा में से कोई आवाज नहीं आता है इसलिए लोमड़ी फिर से कहती है की “गुफा जी आप मुझे यह नहीं बता रहे हैं की अंदर आना है की नहीं इसलिए मैं अंदर नहीं आउंगी और यहां से जा रही हूँ” यह सुनने के बाद शेर सोचता है की गुफा तो कुछ नहीं बोल रहा है इससे अच्छा मैं ही जवाब दे देता हूँ नहीं तो लोमड़ी भाग जायेगी। इसके बाद शेर जोर से कहता है की “आ जाओ लोमड़ी गुफा में कोई खतरा नहीं है” यह सुनकर लोमड़ी समझ जाती है की गुफा में अभी भी शेर मौजूद है इसलिए वह वहां से अपनी जान बचा कर भाग जाती है। 

8. मेंढक और सांप 

एक कुवें में मेंढकों का दल रहता था और उसमे से एक मेंढक सभी मेंढकों का राजा था। राजा मेंढक के रिश्तेदार उसे राजा के पद से हटाना चाहते थें इसलिए वे सभी मेंढक, राजा मेंढक के खिलाफ मोर्चा निकालते हैं और उसे राजा के पद से हटने को कहते हैं। उसके बाद राजा मेंढक अपने सभी रिश्तेदारों को उपहार देकर मानाता है लेकिन वह इनसे दुखी हो गया था। 

एक दिन राजा मेंढक किसी तरीके से कुवें से बाहर निकलता है और एक सांप के बिल के पास जाता है और सांप को बाहर आने के लिए कहता है। सांप बिल में से जैसे ही बाहर आता है तो वह मेंढक को अपने सामने देखकर चौंक जाता है। 

मेंढक कहता है की “चलो हम दोनों दोस्त बन जाएँ” फिर सांप कहता है की “हम दोनों दोस्त नहीं बन सकते हैं, हम सांप और मेंढक तो आपस में दुश्मन होते हैं न”

फिर मेंढक कहता है की अगर तुम मेरे दोस्त बनोगे तो मैँ तुम्हे एक प्लान बताऊंगा जिससे तुम कई सारे मेंढकों को खा सकते हो” यह सुनकर सांप मेंढक का दोस्त बन जाता है। 

उसके बाद मेंढक सांप से कहता है की “जिस कुवें में मैं रहता हूँ वहां ढेर सारे मेंढक हैं, तुम बिल के सहारे कुवें में आ सकते हो और जिनकी ओर इसरा करूँ उन सभी मेंढकों को खा सकते हो” यह सुनकर सांप खुश होता है और अगले दिन कुवें में बिल के सहारे जाता है। 

राजा मेंढक के इसारे के अनुसार राजा मेंढक और उसके परिवार को छोड़कर सांप बाकी सभी मेंढकों को खा लेता है और खुसी खुसी वहाँ से चला जाता है। अब कुवें में राजा मेंढक के खिलाफ बोलने के लिए कोई भी मेंढक नहीं बचा था। 

कुछ दिन बाद सांप राजा मेंढक के पास आता है और कहता है की मैंने तुम्हारे कुवे के बाकी सभी मेंढक को खा लिया है अब तो तुम और तुम्हारा परिवार ही बचा है इसलिए अगला नंबर तुम्हारा होगा। 

उसके बाद राजा मेंढक कहता है की “सांप भाई तुम चिंता मत करो कल में इस कुवें में ढेर सारे मेंढकों को रहने के लिए बुलाऊंगा तुम उन्हें खा सकते हो” यह सुनकर सांप खुश होता है। 

अगले दिन राजा मेंढक अपने परिवार के साथ उस कुवें में से बाहर निकलता है और वहाँ से भाग जाता है और दोबारा उस कुंए के पास नहीं आता है। 

9. लल्लू मगरमच्छ 

एक समय की बात है लल्लू नामक मगरमच्छ पानी में रहकर बहुत ऊब गया था इसलिए वह किसी दोस्त की तलाश कर रहा था। उसी समय गज्जू नामक हाथी उसी तालाब में नहाने के लिए झूमते हुए जा रहा था। 

लल्लू मगरमच्छ जैसे ही गज्जू हाथी को देखता है तो वह सोचता है की अब तो मजा आएगा मैं इस हाथी के साथ खेलूंगा। हाथी जैसे ही तालाब में उतरता है और अपनी सूंड में पानी भरकर अपने ऊपर डालता है वैसे ही लल्लू मगरमच्छ उसका पैर पकड़ लेता है और खींचने लगता है। 

इससे गज्जू हाथी डर जाता है मदद के लिए पुकारने लगता है और चिल्लाता है की बचाओ बचाओ मगरमच्छ मेरा पैर खींच रहा हैं”

वही बगल में एक आम का पेड़ था उसपर लम्पि नाम का बंदर बैठा था और यह तमाशा देख रहा था, कुछ देर बाद बंदर गज्जू हाथी की मदद करने के लिए सोचता है। इसलिए वह पेड़ से एक आम तोड़कर मगरमच्छ की ओर फेकता है। 

लल्लू मगरमच्छ को आम खाने का बहुत शौक था लेकिन वह पेड़ पर नहीं चढ़ पाता था लेकिन इस बार बंदर ने उसे आम फेक कर मारा था, लल्लू मगरमच्छ ने हाथी के पैर को अपने मुँह से छोड़ दिया और लल्लू मगरमच्छ आम को अपने मुँह में दबाकर खाने लगा। इसी के साथ हाथी भी आजाद हो गया था और वह वहाँ से भाग गया। 

फिर बंदर, लल्लू मगरमच्छ से पूछता है की क्या भाई तुम्हे और आम चाहिए फिर लल्लू बोलता है हाँ मुझे आम बहुत पसंद है उसके बाद बंदर मगरमच्छ को कई सारे आम देता है। 

मगरमच्छ कई सारे आम लेकर ख़ुशी ख़ुशी चला जाता है। 

10. बहुत बोलने वाला कछुआ 

एक समय की बात है तालाब में एक कछुआ रहता था जो की बहुत ज्यादा बोलता था और हर समय लोगों से बात ही करता रहता था। कभी हाथी से तो कभी कौवे से और कभी बत्तख से बात करते रहता था। एक दिन दो बत्तख जिनका नाम गो और मो था उन्होंने उस तालाब से जाने का फैसला किया क्यूंकि वहां कई समय से बारिश नहीं हुई थी और सूखा पड़ने वाला था जिससे की तालाब सूखने वाला था। 

वह तालाब छोड़ने से पहले दोनों बत्तख गो और मो कछुआ को अलविदा बोलने के लिए उसके पास जाते हैं तो कछुआ पूछता है की “तुम दोनों कहाँ जा रहे हो?” फिर गो और मो कहते हैं की “इस तालाब में सूखा पड़ने वाला है इसलिए हम इस तालाब को छोड़कर जा रहे हैं”

उसके बाद कछुआ कहता है की “भाई मैं भी यहाँ से जानना चाहता हूँ मुझे लेकर चलोगे?” फिर गो और मो कहते हैं की तुम्हारे पास तो पंख भी नहीं हैं तुम कैसे उड़ पाओगे?”

फिर कछुआ कहता है की “मेरे पास एक जुगाड़ है, तुम दोनों अपने चोंच में लकड़ी के एक एक सिरे को पकड़ लेना और मैं बीच में लकड़ी को अपने मूँह से पकड़ लूंगा और हम उड़कर चले जाएंगे”

फिर गो और मो कहते हैं की तरकीब तो अच्छा है लेकिन तुम बहुत बोलते हो इसलिए अगर तुम बीच में बोलना शुरू कर दोगे तो निचे गिर जाओगे” फिर कछुआ कहता है की “तुम चिंता मत करो मुश्किल मौकों पर मैं नहीं बोलता हूँ” उसके बाद कछुए की तरकीब के हिसाब से वे तीनों उड़ जाते हैं। 

उड़ते उड़ते वे एक गांव के पास पहुँचते हैं और गांव वाल ऊपर देखते हैं और कहते हैं की ये बत्तख अपने मुँह क्या लेकर उड़ रहे हैं कहीं कपडा तो नहीं है तो कोई कहता है की कहीं खजाना तो नहीं है। 

कछुआ सोचा की वह खुद ही गांव वालों को बता दे की ये बत्तख मुझे लेकर उड़ रहे हैं जितने में कछुआ अपना मुँह खोलता है वैसे ही वह निचे जमीन पर गिर जाता है और बेहोश हो जाता है। 

जब कछुए की आंख खुलती है तो वह देखता है कि उसके चारों तरफ गांव वाले और वह दोनों बत्तख खड़े हैं फिर वह बत्तख कछुआ को बताता है कि किस तरह वह गांव वालों को अपने बारे में बताने के लिए मुंह खोलता है और उसके बाद तुरंत ही जमीन पर गिर जाता है। 

उसके बाद कछुआ बगल में ही देखता है कि एक नया तालाब बना हुआ है और फिर वह दोनों बतख से कहता है कि चलिए हम दोनों इस तालाब में ही रहते हैं उसके बाद भी सभी उस तालाब में रहने के लिए चले जाते हैं। 

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निष्कर्ष 

पंचतंत्र की कहानियां लोगों को बहुत पसंद है क्यूंकि इससे सीख और मजा दोनों मिलता है। आप अपने बच्चों को भी panchatantra stories in hindi सुना सकते हैं और उन्हें सीख दे सकते हैं। 

अगर आपको ऊपर बताई गयी पंचतंत्र की कहानी अच्छी लगी है और आपको कोई सीख मिला है तो इसे अपने दोस्तों के साथ भी शेयर करें ताकि वे भी कुछ सीख सकें। 

हमें आशा है की यह ब्लॉग पोस्ट को पढ़ने के बाद आपके सवाल का जवाब आपको आसानी से मिल गया होगा।

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